अपनी तो इबादत का ज़रा अंदाज़ निराला है
इक हाथ मे माला है इक हाथ मे प्याला है
आँसुओं की बूँद भी शहद के जैसी है यहाँ
आशिकों के देश में, ये गम की मधुशाला है
कि तुझको आता देख ही मैं और गिर गया
क्योंकि; मैं जानता था तूँ मुझे उठाने वाला है
चाँद,तारे और हवा नशे मे धुत्त है लग रहे
ये जाम आसमान में किसने उछाला है
नज़र से ना नज़र मिला, ना बात कर
कि नीयतों को मुश्किलों से अब संभाला है ... जैलदार
इक हाथ मे माला है इक हाथ मे प्याला है
आँसुओं की बूँद भी शहद के जैसी है यहाँ
आशिकों के देश में, ये गम की मधुशाला है
कि तुझको आता देख ही मैं और गिर गया
क्योंकि; मैं जानता था तूँ मुझे उठाने वाला है
चाँद,तारे और हवा नशे मे धुत्त है लग रहे
ये जाम आसमान में किसने उछाला है
नज़र से ना नज़र मिला, ना बात कर
कि नीयतों को मुश्किलों से अब संभाला है ... जैलदार
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